हेनरी का नियम, अनुप्रयोग एवं सीमाएं | Henry Ka Niyam

हेनरी का नियम ( Henry ka Niyam) – हेलो स्वागत है आपका एक और नई पोस्ट के अंदर आज की इस पोस्ट के अंदर हम बात करने वाले हैं हेनरी का नियम( Henry ka Niyam), हेनरी नियम के अनुप्रयोग, हेनरी नियम की सीमाएं वह भी हिंदी भाषा में तो आप भी हेनरी का नियम( Henry ka Niyam) जानना चाहते हो और हेनरी नियम( Henry ka Niyam) से संबंधित कुछ भी आपके डाउट है तो वह इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद किलियर हो जाएंगे हम बहुत ही आसान भाषा हेनरी का नियम आपको समझाने वाले हैं मेरा नाम है मनीष स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट पर तो चलिए पोस्ट को स्टार्ट करते हैं |

Henry Ka Niyam

हेनरी का नियम ( Henry ka Niyam)

हेनरी का नियम - "स्थिर ताप पर किसी गैस की द्रव में विलेयता द्रव पर पड़ने वाले आंशिक दाब के समानुपाती होती है "

हम यहां विलेयता को मोल अंश के रूप में परिभाषित करेंगे क्योंकि यदि किसी लयन में किसी अभियोग अवयव के मोल अंश ज्यादा होंगे तो उसकी भी विलेयता अपने आप ज्यादा हो जाएगी

यदि गैस की विलेयता को इसके मॉल अंश के रूप में व्यक्त किया जाए तो –

गैस का आंशिक दाब (p) ∝ विलयन में गैस का मोल अंश

P = KH x विलयन में गैस का मोल अंश

P = KH X

यहां KH=हेनरी स्थिरंक और X से मॉल अंश को प्रदर्शित किया गया है |

KH = P/X

KH = 1/X

अर्थात हेनरी स्थिरांक मोल अंश के व्युत्क्रमानुपाती है मतलब अगर मोल अंश बढ़ेंगे तो हेनरी स्थिरांक का मान कम हो जाएगा , एवं मोल अंश की संख्या बढ़ेगी तो हेनरी स्थिरांक का मान कम हो जाएगा अर्थात हेनरी स्थिरांक का मान बढ़ने पर विलेयता में कमी आएगी

हेनरी नियम के लिए ग्राफ

हेनरी नियम की सीमाएं

हेनरी नियम की कुछ सीमाएं भी है जो आप को ध्यान रखने चाहिए कुछ सीमाएं आपको याद भी कर लेना क्योंकि आपके एग्जाम में पूछे जा सकती है –

  1. दाब बहुत अधिक नहीं होना चाहिए
  2. ताप बहुत कम नहीं होना चाहिए
  3. विलेय गैस विलायक से क्रिया नहीं करनी चाहिए
  4. विलियन में गैसों के अणुओं का न तो संयोजन एवं न वियोजन होना चाहिए

हेनरी नियम के अनुप्रयोग

  1. अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर O2 का आंशिक दाब कम होता है क्यूंकि हम जानते हैं की ऊंचाई पर जाने से दाब में कमी आती हैं और दाब गैस की विलेयता के समानुपाती होता हैं अर्थात दाब बढ़ने पर गैसों की विलेयता बढ़ती हैं और दाब कम होने पर विलेयता कम होती हैं इसलिए ऊंचाई पर जाने से ऑक्सीजन की रक्त में विलेयता में कमी आती हैं और ऑक्सीजन की कमी हो जाती हैं अर्थात खून में O2 के सांद्रता कम हो जाती है पर्वतारोहियों एवं अधिक ऊंचाई पर रहने वाले व्यक्तियों के रुधिर में ऑक्सीजन की कमी हो जाने के कारण सोचने समझने की शक्ति में कमी तथा वे शारीरिक रूप से दुर्बलता आजाती है इस स्थिति को एनोक्सिया कहते हैं
  2. शीतल पेय ( सोडा वाटर ) में कार्बन डाई ऑक्साइड की विलयता बढ़ाने के लिए बोतल को उच्च दाब पर बंद किया जाता हैं
  3. गहरे समुद्र में गोताखोरों को उच्च दाब की वायु से स्वास लेना पड़ता है जिससे रुधिर में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन की विलेयता बढ़ जाती है जब गोताखोर सतह पर आते हैं तो रुधिर में गैस बुलबुलों के रूप में निकलती है जो रुधिर केशिकाओं के मार्ग में अवरोध उत्पन्न करती हैं जिससे गोताखोर को अत्यधिक दर्द अनुभव करना पड़ता है कहीं बार यह स्थिति जानलेवा बन जाती है इस स्थिति को बेंड्स कहते हैं इससे बचाव के लिए गोताखोर को दिए गए गैस सिलेंडर में निम्न गैसों का मिश्रण होता है जिसका रासायनिक संगठन निम्न प्रकार से होता है

हीलियम – 11.7%

नाइट्रोजन = 56.2 %

ऑक्सीजन = 32.1%

Final Words

मुझे उम्मीद है कि आपको हमारी पोस्ट पसंद आई होगी अगर आपके कुछ भी डाउट है यह सवाल है तो आप हमसे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं हम आपके डाउट क्लियर कर देंगे और अगर हमसे कोई गलती हो गई है पोस्ट में तो आप हमें कमेंट सेक्शन बता दीजिए ताकि उसका सुधार कर सके और नेक्स्ट आपको पोस्ट चाहिए उसके बारे में बता दीजिए

हेनरी का नियम ( Henry ka Niyam)

“स्थिर ताप पर किसी गैस की द्रव में विलेयता द्रव पर पड़ने वाले आंशिक दाब के समानुपाती होती है “

हेनरी नियम की सीमाएं

दाब बहुत अधिक नहीं होना चाहिए
ताप बहुत कम नहीं होना चाहिए
विलेय गैस विलायक से क्रिया नहीं करनी चाहिए
विलियन में गैसों के अणुओं का न तो संयोजन एवं न वियोजन होना चाहिए

Leave a Comment